मानव रूपी जीव का जगत से सम्बन्ध

 



 जीव जगत का नियम है कि जीव के अंदर कुछ क्रियाओं का होना आवश्यक है। स्वसन, पोषण, वृद्धि, संवेदनशीलता, उत्सर्जन, प्रजनन का होना आवश्यक है। जितने भी जीभ हैं सब के माता-पिता होते हैं। कभी दोनों के गुण संतानों में पाए जाते हैं। कभी एक ही संतान के अंदर दोनों के गुण पाए जाते हैं। प्रकृति का नियम है प्रजनन सभी जीवो के अंदर पाया जाने वाला लक्षण है।जिस जीव का प्रजनन नहीं होगा वह जीव संसार से विलुप्त हो जाएगा।
माता पिता हर जीव के होते हैं।संसार में एक मानव जीव ही एक मात्र ऐसा जीव है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने माता पिता को पहचानता है।परंतु कुछ अपवाद में मानव अपने माता पिता को नहीं पहचानता है। उदहारण सड़क किनारे पड़ा बालक न अपने माता पिता को पहचानता न जानता है।बल्कि परवरिश करने वाले माता पिता को ही पहचानता है।मानव जीवन में तीन प्रकार के माता पिता मिलते हैं 
1*जन्म देने वाले, 2* शिक्षा देने वाले, 3* विवाह उपरांत मिलने वाले।
  1. इसमें से जो माता पिता अधिक सुख देते हैं उन्हें हम देवता तुल्य मानते हैं।हर प्राणी माता पिता का कर्ज नहीं चुका सकता है।लेकिन कर्ज चुकाने का तरीका बदल जाता है कि हम अपने माता पिता की सेवा की सेवा करें।उनका कर्ज उतारने के लिये नई पीढ़ी को अच्छा भोजन, अच्छी शिक्षा ,अच्छा जीवन और सही आवास प्रदान करें ।यह सारे कार्य करने के लिए देवता तुल्य माता पिता तथा अपने पीढ़ी के लिए देवता तुल्य हम।
यदि यह संस्कार हम समाज में फैलाएं तो न ही सामाजिक न ही धार्मिक सारे अंधविश्वास खतम हो जायेंगे।




                                              helped by 
                                              Satypal ji

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पूर्व का स्विट्जरलैंड सिक्किम

अनमोल वरदान

Percentage calculator tool

मित्रता एक ऐसा एहसास जिसकी तलाश हम जिंदगी भर करते हैं

मानव धर्म सबसे बड़ा धर्म

UPSSSC PET का पाठ्यक्रम